बाजीराव प्रथम(1720-40)= बालाजी की मृत्यू के बाद शाहू ने उसके बड़े लड़के बाजीराव प्रथम को अपना अगला पेशवा बनाया।बाजीराव विस्तारवादी प्रवर्ति का आदमी था।
>उसने िहन्दू जाती की कीर्ति को विस्तृत करने के लिए ही हिन्दू पद पादशाही के आदर्श को फेलाने का प्रयत्न किया।
>बाजीराव प्रथम ने सर्वप्रथम दक्कन के निजाम निजामुलमुल्क से लोहा लिया जो मराठों के बीच मतभेद के द्वारा फूट पैदा कर रहा था । 7मार्च,1728 को पालखेड़ा के संघर्ष में निज़ाम को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा और 'मुंगी शिवग़ाव' संधि के लिए बाध्य होना पड़ा।
>मुंगी शिवग़ाव की संधि की शर्ते- शाहू को चोथ तथा सरदेशमुखी देना, शम्भू की किसी तरह से सहायता न करना एवम युद्ध के समय बंदी बनाये गये लोगों को छोड़ देना।
>दक्कन के बाद गुजरात तथा मालवा जितने के पर्यास में बाजीराव को सफलता मिली तथा इन प्रांतो में भी मराठो को चोथ एवम सरदेशमुखी वसूलने का अधिकार प्राप्त हुआ।
>'बुंदेलखंड' की विजय बाजीराव की सर्वाधिक महान विजय में से एक मानी जाती है। मुहम्मद खां वंगश, जो बुंदेला नरेश छत्रसाला को पूर्णतया समाप्त करना चाहता था, के प्रयत्नों पर बाजीराव ने छत्रसाला के सहयोग से 1728 इस्वी में पानी फेर दिया और साथ ही मुगलों द्वारा छीने गये प्रदेशों को छत्रसाल का वापस करवाया।
>बाजीराव ने मराठा शक्ति के प्रदर्शन हेतु 29 मार्च,1737 को दिल्ली पर धावा बोल दिया। उसके भय से मुग़ल सम्राट मुहम्मदशाह दिल्ली को छोड़ने के लिए तैयार हो गया था। उत्तर भारत मे मराठा शक्ति की सर्वोचता सिद्ध करने के पर्यास में बाजीराव सफल रहा।
>उसने पुर्तगालियों से बसीन और सलसित प्रदेशों को छिनने में सफलता प्राप्त की।
>शिवाजी के बाद बाजीराव दूसरा ऐसा मराठा सेनापति था जिसने गुरिल्ला युद्ध प्रणाली को अपनाया।
>28 अप्रेल, 1740 को नर्मदा के किनारे उसकी म्रत्यु हो गयी। वह लड़ाकू पेशवा के नाम से भी जाना जाता है।
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