कंप्यूटर का विकास व इसकी पीढियां
2.1 कंप्यूटर का विकास
हमारे पूर्वजों ने जब अपने जानवरों या संपत्ति गिनती करने के लिए पत्थर का उपयोग शुरू कर दिया था तब उन्होनें कभी नहीं सोचा था कि इससे एक दिन आज के कंप्यूटर को बढ़ावा मिलेगा। लोगों ने इन पत्थरों से गिनती के लिये एक निश्चित प्रक्रिया का पालन करना शुरू कर दिया जिससे बाद में गणना की एक डिजिटल डिवाइस का आविष्कार हुआ, जिसे हम अबेकस के रूप में जानते हैं।
अबेकस
अबेकस पहला यांत्रिक गणना उपकरण था जो आसानी से और तेजी से जोड़ने व घटाने के लिये इस्तेमाल किया गया था। यह डिवाइस सबसे पहले 10 वीं सदी ई.पू. में मिस्र के लोगों द्वारा विकसित किया गया था, लेकिन चीनी शिक्षाविदों द्वारा 12 वीं शताब्दी ईस्वी में इसे अंतिम रूप दिया गया था।
अबेकस पहला यांत्रिक गणना उपकरण था जो आसानी से और तेजी से जोड़ने व घटाने के लिये इस्तेमाल किया गया था। यह डिवाइस सबसे पहले 10 वीं सदी ई.पू. में मिस्र के लोगों द्वारा विकसित किया गया था, लेकिन चीनी शिक्षाविदों द्वारा 12 वीं शताब्दी ईस्वी में इसे अंतिम रूप दिया गया था।
अबैकस लकड़ी के फ्रेम का बना होता है जिसमें छोटे गोले रॉड पर फिट होते हैं। यह दो भागों 'हैवन' और 'अर्थ' में विभाजित होता है। हैवन ऊपरी हिस्से को और अर्थ निचले हिस्से को कहा जाता है।
नेपियर बोनस
अबेकस के बाद सन 1617 में स्कॉटलैंड के एक गणितिज्ञ जॉन नेपियर ने हड्डियों की छड़ो का प्रयोग कर एक ऐसी मशीन का निर्माण किया जो गुणा व भाग का कार्य भी कर सकती थी इसलिए इस मशीन का नाम नैपियर बोनस रखा गया।
पास्कल का कैलकुलेटर
साल 1642 में, एक फ्रांसीसी वैज्ञानिक ब्लेज पास्कल ने एक एडिंग मशीन, जिसे पास्कल कैलकुलेटर कहा जाता है, का आविष्कार किया जो गियर की मदद से अंकों की स्थिति भी बताता था।
इसे एडिंग मशीन कहा जाता था क्योंकि यह केवल जोड़ने व घटाने का ही काम करती थी।
लीबनिज कैलकुलेटर
साल 1671 में एक जर्मन गणितज्ञ गोटफ्राइड लीबनिज ने पास्कल कैलकुलेटर को संशोधित किया और एक मशीन विकसित की जो गुणा और भाग आधारित बड़ी गणनाएं कर सकती थी।
विश्लेषणात्मक इंजन
साल 1833 में इंग्लैंड के एक वैज्ञानिक चार्ल्स बैबेज ने एक ऐसी मशीन का आविष्कार किया जो हमारे डेटा को सुरक्षित रूप से रख सकती थी। इस उपकरण को विश्लेषणात्मक इंजन कहा गया और इसे पहला यांत्रिक कंप्यूटर माना गया।
इसमें कुछ ऐसे फीचर्स थे जो आज के कंप्यूटर में प्रयोग किये जाते है। कंप्यूटर के इस महान आविष्कार के लिए सर चार्ल्स बैबेज को कंप्यूटर के जनक के रूप में जाना जाता है।
2.2 कम्प्यूटर की पीढ़ियां
समय बीतने के साथ में, एक अधिक उपयुक्त और विश्वसनीय मशीन की जरूरत सामने आई जो हमारे काम को और अधिक तेजी से कर सके। इस समय के दौरान, वर्ष 1946 में, पहला इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर ENIAC सफलतापूर्वक विकसित किया गया और यह कंप्यूटर की वर्तमान पीढ़ी का शुरुआती बिंदु बना।
प्रथम पीढी
ENIAC दुनिया का पहला सफलतापूर्वक विकसित इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर था जिसे दो वैज्ञानिकों जे पी एकर्ट और जे डब्ल्यू मॉशी द्वारा विकसित किया गया था। यह पहली पीढ़ी के कंप्यूटर की शुरुआत थी।
ENIAC का पूरा नाम "इलेक्ट्रॉनिक न्यूमेरिक इंटिग्रेटर एंड कैलकुलेटर" है। ENIAC एक बहुत बड़ा कंप्यूटर था और इसका वजन 30 टन था। यह केवल सीमित या छोटी जानकारी स्टोर सकता था।
प्रारंभ में पहली पीढ़ी के कंप्यूटर में वैक्यूम ट्यूब की अवधारणा का इस्तेमाल किया गया था। वैक्यूम ट्यूब एक इलेक्ट्रॉनिक घटक है जो बहुत कम कार्य कुशल था और इसलिए यह ठीक से काम नहीं कर सकता था क्योंकि इसे एक बड़ी शीतलन प्रणाली की आवश्यकता थी।
दूसरी पीढी
जैसे-जैसे कम्प्यूटर का विकास हुआ, दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर का आगमन हुआ। इस पीढ़ी में, वैक्यूम ट्यूब की बजाय ट्रांजिस्टर का इलेक्ट्रॉनिक घटक के रूप में इस्तेमाल किया गया जो एक वैक्यूम ट्यूब की तुलना में आकार में काफी छोटा होता है।
इलेक्ट्रॉनिक घटक के आकार में कमी के फलस्वरूप कंप्यूटर के आकार में भी कमी आई और यह पहले कंप्यूटर की तुलना में काफी छोटा हो गया।
तीसरी पीढ़ी
तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर का साल 1964 में आविष्कार किया गया। कंप्यूटर की इस पीढ़ी में, ट्रांजिस्टर की बजाय आईसी (इंटीग्रेटेड सर्किट) का कंप्यूटर के इलेक्ट्रॉनिक घटक के रूप में इस्तेमाल किया गया था। आईसी के विकास ने माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक के रूप में एक नए क्षेत्र को जन्म दिया।
आईसी का मुख्य लाभ यह था कि यह न केवल छोटे आकार की थी, बल्कि इसका प्रदर्शन भी पिछले सर्किट से बेहतर और विश्वसनीय था। इसे पहली बार टी.एस. किल्बी द्वारा विकसित किया गया था। कंप्यूटर की इस पीढ़ी में विशाल भंडारण क्षमता और उच्च गणना गति थी।
चौथी पीढ़ी
यह वो पीढ़ी है जहां हम आज काम कर रहे हैं। कंप्यूटर जो हम अपने आसपास देखते हैं, चौथी पीढ़ी के कंप्यूटर हैं। 'माइक्रो प्रोसेसर' कंप्यूटर की इस पीढ़ी के पीछे मुख्य अवधारणा है।
एक माइक्रोप्रोसेसर एकल चिप (L.S.I सर्किट), जो एक कंप्यूटर के किसी भी प्रोग्राम में किसी भी अंकगणितीय या तार्किक कार्य के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
माइक्रोप्रोसेसर के विकास के श्रेय संयुक्त राज्य अमेरिका के मार्सियन एडवर्ड "टेड" हॉफ को जाता है। उन्होंने इंटेल कॉर्पोरेशन, संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए काम करते समय इंटेल 4004 नामक माइक्रो-प्रोसेसर विकसित किया। चौथी पीढ़ी के कंप्यूटर में माइक्रोप्रोसेसर के उपयोग करते हैं, कंप्यूटर बहुत तेजी और कुशलता से काम करने लग गए।
यह स्पष्ट है कि कंप्यूटर की अगली पीढ़ी अर्थात पांचवीं पीढ़ी जल्द ही विकसित हो जाएगी। उस पीढ़ी में, कंप्यूटर कृत्रिम बुद्धियुक्त होंगे और एक इंसान की तरह आत्म-निर्णय लेने में सक्षम होंगे।
पांचवीं पीढ़ी (वर्तमान और भविष्य में)
पांचवीं पीढ़ी के कृत्रिम बुद्धि पर आधारित कंप्यूटर उपकरण अभी विकास के दौर में हैं, हालांकि इस तरह के कुछ अनुप्रयोग वर्तमान में इस्तेमाल किये जा रहे है,जैसे कंप्यूटर द्वारा आवाज पहचानना आदि।
समानांतर प्रसंस्करण और अतिचालक का उपयोग कृत्रिम बुद्धि को एक वास्तविकता बनाने में मदद कर रहा है।
क्वांटम गणना और आणविक और नैनो टेक्नोलॉजी की मदद से आने वाले वर्षों में कंप्यूटर का स्वरूप बदल जाएगा। पांचवीं पीढ़ी के कंप्यूटर का लक्ष्य भाषा इनपुट का जवाब देना और सीखने और आत्म संगठन में सक्षमता विकसित करना है।
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