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राणा सांगा(1509-1528)

Wednesday, 8 June 2016

राणा सांगा(1509-1528) 

मेवाड़ के वीरों में राणा सांगा का अद्वितीय स्थान है। 
राणा  सांगा में गागरोन के युद्ध में मालवा के महमूद खिलजी द्वितीय  और खातोली के युद्ध में दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोदी को पराजित कर अपनी सैनिक योग्यता का परिचय दिया। 
सांगा भारतीय इतिहास में हिंदूपत के नाम से विख्यात है। 
राणा सांगा खानवा के मैदान में राजपूतों का एक संघ बनाकर बाबर के विरुद्ध लड़ने आया था लेकिन पराजित हुआ। 
बाबर के श्रेष्ठ नेतृत्व एवं तोपखाना के कारण  सांगा की पराजय हुई। 
खानवा का युद्ध (17 मार्च 1527) परिणामों के दृष्टि से बड़ा महत्वपूर्ण रहा। 
इससे राजसत्ता राजपूतों के हाथों से निकलकर मुगलों के हाथों में आ गई। 
यहीं से उत्तरी भारत का राजनीतिक संबंध मध्य एशियाई देशों से पुनः  स्थापित हो गया। 
राणा सांगा अंतिम हिंदू राजा था, जिसके सेनापतित्त्व  में सब राजपूत जातियां विदेशियों को भारत से निकालने के लिए सम्मिलित हुई। 
सांगा अपने देश के गौरव रक्षा में एक हाथ,एक आँख और टांग गवा दी थी। 
इसके अतिरिक्त उसके शरीर के भिन्न-भिन्न भागों पर 80 तलवार के घाव लगे हुए थे। 
सांगा ने अपने चरित्र और आत्म बल से उस जमाने में इस बात की पुष्टि कर दी थी कि उचित पद और चतुराई की अपेक्षा स्वदेश रक्षा और मानव धर्म का पालन करने की क्षमता का अधिक महत्व है। 

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