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प्राक इतिहास

Wednesday, 25 May 2016

प्राक इतिहास 
  • जिस समय के  जीवन की जानकारी का कोई लिखित साक्ष्य नहीं मिलता, उसे प्राक इतिहास या प्रागितिहास कहा जाता है।  औजारों की प्रकृति के आधार पर प्राक  इतिहास को तीन भागो में बांटा जाता है- पुरा पाषाणकाल , मध्य पाषाणकाल तथा नव पाषाणकाल। 
  • पुरा पाषाणकाल में मानव जीविकोपार्जन के लिया शिकार और खाद्य संगृह पर निर्भर था। 
  • मध्य पाषाणकाल के औजार आमतौर पर छोटे होते थे, जिन्हे मैक्रोलिथ कहा जाता था। 
  • नव पाषाणकाल में आग तथा पहिए का अविष्कार हुआ।  इस समय की प्रमुख विशेषता खाद्य उत्पादन ,पशुओं के उपयोग की जानकारी तथा स्थिर ग्राम्य जीवन का विकास। 
  • मेहरगढ़ प्रशिद्ध नव स्थल है, जहां 7000 ईस्वी पूर्व में कृषि कार्य के साक्ष्य प्राप्त हुए है। यहाँ से गहुँ तथा जौ के खेती के प्रमाण मिले हैं। 
  • मनुष्य के साथ कुत्ते , भेड़िये तथा जंगली बकरे के शवाधान भी प्राप्त हुए हैं। मनुष्य ने सर्वप्रथम कुत्ते को पालतू बनाया।  मानव द्वारा बनाया जाने वाला प्रथम औजार कुल्हाड़ी था। 
  • उत्तर प्रदेश के बेलन  घाटी में स्थित कोल्डीहवा नमक स्थान से चावल की कृषि का साक्ष्य मिला है। मनुष्य ने सबसे पहले जिस धातु का उपयोग आरंभ किया, वह  ताम्बा थी।  ताम्बे से जिस युग में औजार अथवा हथियार बनाए जाने लगे, उसे ताम्र पाषाणकाल कहा  जाता है।  



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