प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत
साहित्यिक साक्ष्य
विदेशियों के वृतांत
यूनान- रोम के लेखक
पुरातात्विक साक्ष्य
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साहित्यिक साक्ष्य
धार्मिक साहित्यिकसाक्ष्यों के अंतर्गत वेद, वेदांत, उपनिषद, ब्राह्मण ,अन्य पुराण रामायण ,महाभारत, स्मृति ग्रंथ तथा बोद्ध तथा जैन साहित्य आदि को शामिल किया जाता है।
- वेदों की संख्या चार है ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद तथा वेदांत के अंतर्गत शिक्षा, कल्प, ज्योतिष, व्याकरण, ननिरुक्त तथा छन्द आते है। इसके अलावा सभी वेदों के ब्राह्मण एवं आरण्यक है , जिनसे हमें अनेक ऐतिहासिक एवं सामाजिक तथ्य प्राप्त होते हैं।
- बौद्ध ग्रंथों में त्रिपिटक, निकाय तथा जातक आदि प्रमुख है।
- जातक में बुद्ध के पूर्व जन्मों की कथाओं का संकलन किया गया है। सुत्तपिटक में बुद्ध के उपदेश, विनयपिटक में भिक्षु - भिक्षुणियों से संबंधित नियम तथा अभिधम्मपिटक में बौद्ध मतों की दार्शनिक व्याख्या की गई है।
- बौद्ध ग्रन्थ दीपवंश, महावंश से मौर्यकालीन पर्याप्त जानकारी मिलती है। नागसेन रचित मिलिंदपन्हो से हिंदी यवन शासक मिनांडर के विषय में सूचना मिलती है।
- बोद्ध तथा जैन ग्रंथों से तत्कालीन सामाजिक, सांस्कृतिक तथा आर्थिक परिस्थितियों का ज्ञान होता है।
- जैन ग्रंथों में परिशिस्तपर्वन्, बद्रबहुचरित, आचारांग सूत्र,भगवती सूत्र, कल्पसूत्र आदि से अनेक ऐतिहासिक सामग्री मिलती है। जैन ग्रंथ भगवती सूत् में महावीर स्वामी के जीवन तथा समकालीन घटनाओं की जानकारी मिलती है।
- अष्टाध्याई संस्कृत व्याकरण का पहला ग्रंथ है जिसकी रचना पाणिनि ने की थी इसमें पूर्व मौर्यकाल की सामाजिक दशा का चित्रण मिलता है।
- अर्थशास्त्र का लेखक कोटिल्य है, जिसे चाणक्य तथा विष्णुगुप्त के नाम से भी जाना जाता है। अर्थशास्त्र में मौर्यकालीन राजव्यवस्था स्पस्ट चित्रण मिलता है यह राजकीय व्यवस्था पर लिखी गई पहली पुस्तक है।
- शुंगकाल में पतंजलि में पाणिनी की अष्टाध्याई पर महाभाष्य लिखा, जिससे मौर्योत्तर कालीन जानकारी मिलती है। पतंजलि पुष्यमित्र शुंग के पुरोहित थे।
- संस्कृत भाषा में ऐतिहासिक घटनाओं का क्रमबद्ध लेखन कल हमने किया कल्हण की राजतरंगिणी में कश्मीर के इतिहास का वर्णन है।
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